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जीवन में हास्य ठिठोली आवश्यक भले ही हो,किन्तु जीवन ही कहीं ठिठोली न बन जाये यह भी देखना होगा.सबको साथ ले हंसें किसी पर नहीं! मनोरंजन और छिछोरापन में अंतर है.स्वतंत्रता और स्वच्छंदता में अंतर है.अधिकार से पहले कर्तव्यों को भी समझें. तिलक.(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/ अनुसरण/ निशुल्क सदस्यता व yugdarpanh पर इमेल/ चैट करें, संपर्कसूत्र- तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 09911145678,09654675533



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: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

Wednesday, October 31, 2012

अँधेरे का साम्राज्य ? भाग-3,

अँधेरे का साम्राज्य ? भाग-3, ...Pl. Like it, join it, share it. Tag 50 frnds.
नितिन गडकरी को त्यागपत्र नहीं देना चाहिए, क्यों ?
भाजपा का चाल चरित्र चेहरा:- सीता माँ के चरित्र पर, मात्र एक धोबी के ऊँगली उठाने पर, उनके परित्याग को आज त्याग नहीं माना जाता ! अत; भगवान् राम के आदर्श का पालन करते, जब जब भाजपा ने नैतिकता की दुहाई के नाम पर, शर्मनिरपेक्ष मीडिया के ऊँगली उठाने पर, आदर्श व नैतिक श्रेष्ठता का पालन करते, अपने नेत्रत्व में परिवर्तन किया, परिणाम क्या हुआ ? नैतिक बल ऊपर नहीं हुआ, हीन भावना से ग्रसित, नैतिक रूप से कमज़ोर और हंसी की पात्र हो गयी ! तहलका जैसी बिकी हुई संस्थाओं के दबाव में अपने कई श्रेष्ठ नेता कल्याण का कल्याण कर, मदन लाल खुराना, बंगारू लक्ष्मण, विजय राजे, येदुरप्पा, रमेश पोखरियाल, को अपने से दूर कर दिया ! शर्मनिरपेक्ष मीडिया के शर्मनिरपेक्ष पत्रकार, भाजपा का मान मर्दन करते रहे ! "चाल चरित्र चेहरा" उपहास का विषय बना रहा ! जैसे कि त्यागपत्र देना या दिलवा कर, नैतिक श्रेष्ठता नहीं, अपराध कर लिया हो ! और यही कारण रहा, जिससे भाजपा के नेताओं की जनता का सामना करने की क्षमता कम हुई ! "चाल चरित्र चेहरा" भिन्न होकर भी, अपमान और कलंक झेलते रहे ? अपने गढ़ व सत्ता, उ.प्र., दिल्ली, राजस्थान, उत्तराखंड में खो दिये ! उमाँ भारती के साथ म.प्र. चला गया था, जाकर आया है ! बंगलोर को दक्षिणी गढ़ न बना सके ? ये सब करने के बाद भी, किसी पत्रकार के मुह से कभी ये सुना, कि हाँ, भाजपा ही ऐसी पार्टी है, जो कम से कम दागी लोगों पर कार्यवाही तो करती है ? इसके विपरीत, केवल गुजरात में मोदी के रूप में हमने सामना किया, उसके परिणाम सत्ता और छवि की रक्षा करने में सफल रहे ! सक्षम रूप से उभर कर आगे आये !
शर्मनिरपेक्ष कांग्रेस -मीडिया -आतंकी, गठजोड :-इसके ठीक विपरीत, सब जानते हैं, कालांतर में नेहरु, इंदिरा, 1984 के दंगे के जगदीश टाइटलर से लेकर आज के चिदम्बरम और खुर्शीद तक, सेकड़ों घोटालों में फंसे बड़े बड़े नेताओं को कांग्रेस ने हर बार, शर्मनिरपेक्षता की सारी सीमायें पार कर बचाया ! पहले तो कई बार इस्तीफ़ा दिलवाने का नाटक कर लेते थे, उसके बदले संगठन का पद दे कर, अब कम करते हैं ! वे विगत 65 वर्ष से इस देश पर, लूट का राज चला रहे हैं ! उन्हें इसके कारण कभी भी नीचा नहीं देखना पड़ा ? शर्मनिरपेक्ष बिकाऊ मीडिया साथ है, न ! जन समर्थन कम रह जाये, चोर चोर मोसेरे भाई कई मिल जाते हैं ! गंदे से गंदे समय में तंत्र मुट्ठी में है ! वहां तक बात जाने नहीं देते, जनता को मुर्ख बनाने के कई रास्ते हैं, हम मुर्ख बनते भी हैं ! इसका भरपूर लाभ आतंकी भी उठाते हैं !
भाजपा शासित -कांग्रेस शासित, राज्य का अंतर :- अंधे भी शासन का अंतर साफ देख कर सकते हैं, भ्रम के ग्रसित हम अकल के अंधे नहीं ! कालांतर में कभी कोई अफज़ल, कसाब तथा उनके मानवाधिकार नामक समर्थको का आतंकी नाग डसता है ! कभी कोई शर्मनिरपेक्षता का रावण, भिन्न भिन्न कानून के रूप में या भिन्न भिन्न न्याय के रूप में हमें छलता है ! जब पाखंडी खुजली, तीस्ता सीतलवाद अब जालसाज दमानिया जैसे मक्कारों के फरेब का साथ देता है ! इन सब को हम भिन्न भिन्न घटनाएँ न माने, मेकाले के 1935 से चले आ रहे, एक घिनोने व्यापक कुचक्र का अभिन्न अंग समझें ! ये सब उसके शर्मनिरपेक्ष पात्र हैं ! जो अपनी लकीर बड़ी करना नहीं, दूसरे की लकीर छोटी दर्शाना जानते हैं, वो इस धारणा को सिद्ध करना चाहते हैं, कि सारे दल भ्रष्ट व सारे नेता चोर हैं ! तभी तो अँधेरे का साम्राज्य बना रहेगा ! पूरे समाज में ही मूल्यों की जो गिरावट हुई है, उसका मूल कारण भी यही शर्मनिरपेक्षता है !
मुद्दा ये है, कि इस प्रकार, क्या गडकरी व हर नेता को हटाने से भाजपा भ्रष्टाचार की लड़ाई का नेत्रत्व कर पाएगी ? इस चक्रव्यह का लक्ष्य सनातन धर्म व परम्परा का साथ देने वाले सभी हैं ! यह चक्रव्यह कांग्रेस और कांग्रेस शासित सत्ता के समर्थन से भाजपा और भाजपा शासित सत्ता के विरूद्ध निरन्तर चल रहा है ! 
यह अंतर जब तक हम समझ नहीं लेते, अँधेरे का साम्राज्य बना रहेगा ! -तिलक
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Friday, October 19, 2012

अब जालसाज दमानिया अर्थात तीस्ता सीतलवाद -2

अब जालसाज दमानिया अर्थात तीस्ता सीतलवाद -2
भूमि जंजाल में स्वयं भी फंसीं अंजलि दमानिया - 
नई दिल्ली।। भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी पर किसानों की भूमि 'हड़पने' का कथित आरोप लगाने वालीं, अंजलि दमानिया, स्वयं भी इसी तरह के विवाद में घिर गई हैं। इंडिया अंगेस्ट करप्शन (आईएसी) की दमानिया पर आरोप है कि उन्होंने खेती की भूमि खरीदने के लिए, स्वयं को गलत ढंग से किसान प्रमानित किया और बाद में भूमि का योग ('लैंड यूज') बदलवा कर, उसे प्लॉट बना कर बेच दिया। क्या यह सत्य नहीं है ?
उल्लेखनीय है कि वास्तव में, आईएसी की नई 'मख्य नेत्री' अंजली दमानिया का एक परिचय और भी है। वह 'एसवीवी डिवेलपर्स' की निदेशक भी हैं। जिस जगह उन्होंने गडकरी पर भूमि हड़पने का आरोप लगाया है, उसी के आसपास दमानिया की भी 30 एकड़ भूमि है। दमानिया ने 2007 में 'करजत तालुका के कोंडिवाडे गांव' में आदिवासी किसानों से उल्हास नदी के पास भूमि खरीदीं। आदिवासियों से भूमि खरीदने की शर्त पूरी करने के लिए, उन्होंने पास के कलसे गांव में पहले से किसानी करने का प्रमात्र जमा किया
क्या यह सत्य नहीं है ? अपनी 30 एकड़ की भूमि के पास ही, दमानिया ने 2007 में खेती की 7 एकड़ भूमि और खरीदी थी, जिसका योग बदलकर उन्होंने बेच दिया। करजत के दो किसानों से उन्होंने भूमि लेते समय खेती करने का वादा किया था, लेकिन बाद में उस भूमि पर प्लॉट काटकर बेच दिए। दमानिया के अनुसार, रायगढ़ के जिलाधीश ने भूमि का योग बदलने की अनुमति दी थी। क्या यह आलेख ही और पूरी जानकारी देकर बने है ?
इस बारे में प्रतिक्रिया मांगे जाने पर दमानिया ने कहा कि उन्होंने कुछ भी गैरकानूनी नहीं किया। उन्होंने बताया, "मैंने 2007 में खेती की भूमि खरीदी थी और इसके बाद रायगढ़ के जिलाधीश कार्यालय में योग बदलने के लिए आवेदन किया था । 2011 में इसे स्वीकार कर लिया गया और इसके बाद 37 प्लॉट बेचे गए।" वे इस बारे में सारे आलेख दिखाने को तैयार है। दि कोई सोचता है कि मैंने कुछ गलत किया है, तो फिर भूमि योग बदलने का सरकार का नियम गलत है। युग दर्पण की मान्यता है, कि दि यह सरकार के नियम का गलत योग है, तो आदिवासियों के हक़ हड़पने का कार्य, 420 का कार्य है।
उल्लेखनीय यह भी है कि पहले दमानिया और गडकरी के बीच अच्छे मित्रवत सम्बन्ध थे, लेकिन प्रस्तावित कोंधवाने डैम में पड़ रही 30 एकड़ भूमि बचाने में गडकरी से 'भरपूर मदद' न मिलने के कारण वह भाजपा अध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोल बैठीं। दमानिया ने सिंचाई विभाग को प्रस्तावित डैम को 500 से 700 मीटर स्थानांतरित करने का आग्रह किया, ताकि उनकी (?) भूमि बच सके। उन्होंने 10 जून 2011 को लिखी चिट्ठी में कहा, 'सरकार सर्वे के द्वारा जान सकती है, कि यहां 700 मीटर के आसपास कोई निजी भूमि नहीं है, केवल आदिवासियों की भूमि हैं। हमें पूरा विश्वास है, वह पर्याप्त मुआवजा देकर अधिग्रहीत की जा सकती हैं।' उन्होंने चिट्ठी में लिखा, कि यदि उनकी (?) भूमि बच गई, तो उनका जीवन बच जाएगा।
आरोप है, कि इससे बात न बनने पर, दमानिया ने गडकरी से भी पैरवी की चिट्ठी सिंचाई विभाग को लिखवाई, लेकिन यह भी काम न आया। गडकरी की चिट्ठी से भी बात न बनने के बाद, दमानिया ने सिंचाई विभाग के घोटाले को प्रकट करने की ठान ली, लेकिन इसमें गडकरी ने कोई सहायता करने से मना कर दिया। यहीं से दमानिया की गडकरी से लडाई शुरू हो गई। नए प्रकटकरण से यह प्रशन उठने लगे हैं, कि दमानिया सरकार की सहायता से, गडकरी पर किसानों की भूमि हड़पने का आरोप लगा रही हैं, लेकिन उनकी नैतिकता उस समय कहां थी, जब उन्होंने अपनी भूमि बचाने के लिए, आदिवासियों की भूमि अधिग्रहीत करने की मांग की थी 

जीवन ठिठोली नहीं, जीने का नाम है |

Tuesday, October 16, 2012

खेमका का स्थानातरण एक ठिठोली ?

खेमका का स्थानातरण एक ठिठोली ?
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा एवं डीएलएफ के बीच हुई भूमि समझौते की जांच का आदेश देने के कुछ घटों के भीतर ही हरियाणा सरकार ने आईजी रजिस्ट्रेशन आइएएस अधिकारी अशोक खेमका का स्थानातरण कर दिया। उधर, कुछ अज्ञात लोगों द्वारा खेमका को फोन पर जान से मारने की धमकी भी दी जा रही है।
अशोक खेमका के निकटस्थ मित्र एवं वरिष्ठ अधिवक्ता अनुपम गुप्ता के अनुसार खेमका को अज्ञात लोगों के धमकी भरे फोन आ रहे हैं और जिसमे उन्हें अपनी गतिविधियों पर लगाम लगाने की चेतावनी दी जा रही है। बात नहीं मानने पर उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही है। फोन के माध्यम से यहां तक कहा जा रहा है कि अपराध जगत के लोगों को उनके नाम की सुपारी तक दे दी गई है।
उल्लेखनीय है कि खेमका ने डीएलफ-वाड्रा के बीच हरियाणा के चार जिलों गुड़गाव, फरीदाबाद, पलवल और मेवात में हुई भूमि की क्रय-बिक्री की जाच आरंभ करवाई थी। उन्होंने 15 अक्टूबर को ही मानेसर-शिकोहपुर की उस साढ़े तीन एकड़ भूमि का उत्परिवर्तन रद्द किया था, जिसे वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने डीएलएफ को 58 करोड़ में बेचा था। जाच में इस सौदे में अनियमितता पाई गई थी। भू समझौते को रद्द करने वाले अभिलेख बताते हैं कि भूमि बिक्री के पत्रों पर अनधिकृत अधिकारी के हस्ताक्षर पाए गए हैं। विगत 21 वर्षों में खेमका का 40 बार स्थानांतरण हो चुका है।
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Sunday, October 14, 2012

चाणक्य सूत्र से ठिठोली ?

चाणक्य सूत्र से ठिठोली ?
आपने चाणक्य सूत्र बताया, हमने माना | प्र. मं., सेनापति या गुप्चार विभाग प्रमुख के पद किसी विदेशी अथवा उसकी पत्नी को तो नहीं दिए | किन्तु बड़ी चतुराई से उन सब पर ऐसी कठपुतलियां बैठाई हैं; जिनकी नकेल विदेशी महिला के हाथ में है | सबने देखी, इनकी चतुराई | ये निगोड़े, ये निगोड़े, व इनकी चतुराई ? क्यों किसी की समझ न आई ? - तिलक संपादक युग दर्पण मीडिया समूह, 9911111611,
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Saturday, October 13, 2012

हम इतने नहीं महान हैं ?....

हम इतने नहीं महान हैं ?....

किसी कवि ने लिखा, आश्चर्य चकित रह गया 
सहस्त्रों ऋषि मुनियों सा, इन्सान ये कह गया ?
अब तो मजहब कोई, ऐसा भी चलाया जाए ,
जिसमें इनसान को, इनसान बनाया जाए !!
इसे देखके मन ये बोला, कुछ ऐसा लिखा जाये 
तम के गम को मिटा के निज उजियारा फैलाये 

नकली आभूषण असली से बढ़के बिक जाते हैं 
इसे देख के हम, नकली के लोभी बनते जाते हैं 
असली हीरा खोने पर, कोई नकली नहीं बनवाता 
धरती अम्बर एक किया तो खोज उसी को लाता 

भारत का है सत्य खो गया, उसे खोज कर लाना 
छद्म रचे से मूल है उत्तम, व भारतवंशी कहलाना 
श्रेष्ठ था जो भी था अपना, अब रह गया है सपना 
नालंदा तक्षशिला जला कर, मिटा जो था अपना 

अब नकली को पढ़ना होता, नकली राह दिखाता 
न असली खाने को ही है, नकली सब होता जाता 
कोई देवी देवता नहीं  हम , न ही कोई भगवान हैं 
सत्य की राह पर चलते हुए , बस इक , इन्सान हैं 

सीधे सादे सच्चे रह सकें, बस इतना ही तो ज्ञान है 
धार्मिक हैं, किन्तु नया धर्म रचें ? न ऐसे महान हैं 
धार्मिक हैं, किन्तु नया धर्म रचें ? न ऐसे महान हैं 
हम इतने नहीं महान हैं ....
तिलक संपादक युग दर्पण मीडिया समूह 9911111611,
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