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जीवन में हास्य ठिठोली आवश्यक भले ही हो,किन्तु जीवन ही कहीं ठिठोली न बन जाये यह भी देखना होगा.सबको साथ ले हंसें किसी पर नहीं! मनोरंजन और छिछोरापन में अंतर है.स्वतंत्रता और स्वच्छंदता में अंतर है.अधिकार से पहले कर्तव्यों को भी समझें. तिलक.(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/ अनुसरण/ निशुल्क सदस्यता व yugdarpanh पर इमेल/ चैट करें, संपर्कसूत्र- तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 09911145678,09654675533



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: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :
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Friday, April 22, 2016

मुजफ्फरनगर दंगा: शर्मनिरपेक्ष इन बड़े पत्रकारों पर कार्रवाई की संस्तुति

लखनऊ। मुजफ्फरनगर दंगों पर एक टीवी चैनल द्वारा स्टिंग (मर्म छेदन अभियान) कराए जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस मर्म छेदन अभियान (मछेअ) की हुई जांच रपट आज सदन में प्रस्तुत की गई। सतीश निगम द्वारा प्रस्तुत की गई इस रपट में इस टीवी चैनल के कई पत्रकारों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की गई है। 
ध्यान रहे कि उक्त स्टिंग (मछेअ) में सपा नेता आजम खां पर दंगा भड़काने का आरोप लगाया गया था। इस मछेअ (स्टिंग) के प्रसारित होने के बाद इस पर सतिश निगम की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी बैठाई गई थी। 
350 पृष्ठों की जांच रपट में निम्नलिखित पत्रकारों पर कार्यवाई करने की अनुशंसा की गई है- सुप्रिया प्रसाद, दीपक शर्मा, अरूण सिंह, हरी शर्मा, राहुल कंवल और पुण्य प्रसुन वाजपेयी। अंतत: इन राष्ट्रद्रोही पत्रकारों का ऊँट पहाड़ के नीचे आ ही गया। मुज़फ्फरनगर के शांत जीवन से ठिठोली करने के कारण इन पर भादंसं की निम्न धाराओं में कार्रवाई की अनुशंसा की गई है- 153A, 295, 200, 463, 464, 469, 47 
लो आ गए अच्छे दिन, बड़ी चाह थी इन्हें 'अच्छे दिन' की, मनोकामना पूर्ण हुई। 
हास्य परिहास तो जीवन में आवश्यक है किन्तु परिहास में भी ऐसी ठिठौली !
देश, समाज और जीवन से ठिठोली नहीं, और ठिठोली का नाम हास्य नहीं।।
http://jeevanmelaadarpan.blogspot.in/2016/04/blog-post_22.html