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जीवन में हास्य ठिठोली आवश्यक भले ही हो,किन्तु जीवन ही कहीं ठिठोली न बन जाये यह भी देखना होगा.सबको साथ ले हंसें किसी पर नहीं! मनोरंजन और छिछोरापन में अंतर है.स्वतंत्रता और स्वच्छंदता में अंतर है.अधिकार से पहले कर्तव्यों को भी समझें. तिलक.(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/ अनुसरण/ निशुल्क सदस्यता व yugdarpanh पर इमेल/ चैट करें, संपर्कसूत्र- तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 09911145678,09654675533



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बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

Wednesday, December 19, 2012

क्यों, मित्रों ने भी भुला दिया?

क्यों, मित्रों ने भी भुला दिया? Like, comment, share, tag 50 frnds
जब से 'फेक बुक, ने मेरे हाथ बांधे मित्रों ने भी भुला दिया,
किसी भी रचना पर टिप्पण Like, का अंकुश तो मुझ पर है, 
फिर आप ने भी टिप्पणी करने से, क्यों है मुँह ही चुरा लिया;
स्मरण हैं वह दिन, जब लेखन व टिप्पण का गर्म व्यवहार था, 
नवरात्रे दीपावली में वह खाता बंद हुआ मित्रों ने भी भुला दिया,
दीपावली में बना नया खाता, धडाधड भेजे नए खाते के सन्देश, 
फिर दीपावली के बधाई सन्देश को फेकबुक ने स्पैम का नाम दे,
कई अंकुश टिप्पण, सन्देश, FR, Tag, खाते पर हैं, लगा दिए, 
नए खाते में 2-4 पुराने, 8-10 मित्र नए जुडे व लेखन है जारी,
किन्तु अब किसी लेखन पर क्यों, नहीं आती टिप्पणी तुम्हारी??
भीड़ से दूर, सन्नाटे की व्यथा की यह कथा है कडवी (क्षमा करें), 
मुझे, नए भले न पहचाने क्यों, पुराने मित्रों ने भी भुला दिया ??
क्यों, मित्रों ने भी भुला दिया ??....तिलक
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है |
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"
जीवन ठिठोली नहीं, जीने का नाम है | युगदर्पण

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